जीवित्पुत्रिका व्रत सुहागिन महिलाएं संतान की प्राप्ति और उसके दीर्घायु के लिए यह व्रत करती हैं।इस दिन निर्जला व्रत रखकर जीमूतवाहन की पूजा करती हैं।
जितिया माई सोने के भोग हम लगाइम सोने के जितिया पूजम ना - लिरिक्स
| सखी हे मंगल जितिया हम करव सोने के जितिया पूजम न |
|| सखी हे मंगल जितिया हम करव सोने के जितिया हम पूजम न ||
| सखी हे अकुरी अनरसा हम खाइम सोने के जितिया पूजम ना |
|| सखी हे अकुरी अनरसा हम खाइम सोने के जितिया पूजम ना ||
| सखी हे फल फलहरियाँ हम खाइम सोने के जितिया पूजम ना |
|| सखी हे फल फलहरियाँ हम खाइम सोने के जितिया पूजम ना ||
| सखी हे जितिया माई सोने के भोग हम लगाइम सोने के जितिया पूजम ना |
|| सखी हे जितिया माई सोने के भोग हम लगाइम सोने के जितिया पूजम ना ||
| सखी हे जितिया माई से मागम आशीर्वाद सोने के जितिया पूजम ना
|| सखी हे जितिया माई से मागम आशीर्वाद सोने के जितिया पूजम ना ||
| जितिया माई बेटा के दियह आशीर्वाद सोने के जितिया पूजम ना
|| जितिया माई बेटा के दियह आशीर्वाद सोने के जितिया पूजम ना ||
| सखी हे पहला जितिया पूजियह जितिया माई के चढ़ इह न
|| सखी हे पहला जितिया पूजियह जितिया माई के चढ़ इह न।
| जितिया माई हमरो दियह आशीर्वादवा गोदी ललनवा न
|| जितिया माई हमरो दियह आशीर्वादवा गोदी ललनवा न।
| सखी हे मड़ुवा के रोटी हम बनाइम जितिया माई के भोग लगाइम न
|| सखी हे मड़ुवा के रोटी हम बनाइम जितिया माई के भोग लगाइम न।
| सखी हे चील ह सियार को दियह माई आशीर्वाद न
|| सखी हे चील ह सियार को दियह माई आशीर्वाद न।
| जितिया माई दर्शन दियह भोरे भोरे गोदी में ललनवा न
जितिया माई दर्शन दियह भोरे भोरे गोदी में ललनवा न।
| जितिया माई दर्शन दियह भोरे भोरे गोदी में ललनवा न
|| जितिया माई दर्शन दियह भोरे भोरे गोदी में ललनवा न।
| जितिया माई खढ़ना होतो भोरे भोरे दियह आशीर्वादवा न
|| जितिया माई खढ़ना होतो भोरे भोरे दियह आशीर्वादवा न।
| जितिया माई तोहरो आरती उतारम भोरे भोरे दियह आशीर्वादवा न
|| जितिया माई दियह गोदी में ललनवा भोरे भोरे दियह आशीर्वादवा न
| सखी हे मंगल जितिया हम करव सोने के जितिया हम पूजम ना |
|| सखी हे मांगल जितिया हम करव सोने के जितिया हम पूजम ना ||
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जितिया व्रत की आरती
ओम जय कश्यप नन्दन, प्रभु जय अदिति नन्दन।
त्रिभुवन तिमिर निकंदन, भक्त हृदय चन्दन॥
ओम जय कश्यप..!
सप्त अश्वरथ राजित, एक चक्रधारी।
दु:खहारी, सुखकारी, मानस मलहारी॥
ओम जय कश्यप..!
सुर मुनि भूसुर वन्दित, विमल विभवशाली।
अघ-दल-दलन दिवाकर, दिव्य किरण माली॥
ओम जय कश्यप..!
सकल सुकर्म प्रसविता, सविता शुभकारी।
विश्व विलोचन मोचन, भव-बंधन भारी॥
ओम जय कश्यप..!
कमल समूह विकासक, नाशक त्रय तापा।
सेवत सहज हरत अति, मनसिज संतापा॥
ओम जय कश्यप..!
नेत्र व्याधि हर सुरवर, भू-पीड़ा हारी।
वृष्टि विमोचन संतत, परहित व्रतधारी॥
ओम जय कश्यप..!
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जीवित्पुत्रिका व्रत भजन,आरती, जितिया गीत : जितिया पाबैन महान् सखिया
गीत : जितिया पाबैन महान् सखिया
छै मिथिला में जितिया पबैन, बहुत महान् सखिया,
माछ मदुआ स शुरू, चारि चरणक विधि विधान सखिया।
प्रथम चरण खेनाई व्रती केर माछ और मरुआ रोटी,
शाकाहारी नारी लेल झुमनी तरकारी, नोनी साग सखिया।
सभ स भारी थिक जितिया पाबैन केर उपवास निर्जला,
अहि पबैन केर छै ई, सभ स पुरान पहचान सखिया।
छै मिथिला मे……!
दोसर चरण में नहाए खाए, विधि विधान पूर्ण होईत छै,
सभ माए केर कामना इएह, खुश रहे हमर संतान सखिया।
सखी ई पाबैन दुनिया में, सभ पाबैन स अलग होइत अहि, अहि पाबैन केर दोसर पबनी स, नहि मिलान सखिया।
तेसर चरण में भोरे भोरे ओठगन केर रहैत अहि तैयारी,
अन्हारे अनहारे चूड़ा, दही, चीनी, अंचार, मिष्ठान सखिया।
छै मिथिला मे……!
ताहि पश्चात चौबीस घंटा केर निर्जला उपवास प्रारंभ छै,
ने मुंह में जल, ने फल, ने स्नान आओर जलपान सखिया।
अहि व्रत मे धीया पुता केर सभ स बेसी आनन्द अबैत छैक,
ओठगन स पारण धरि रहे छै खेनाई पर ध्यान सखिया।
अहि साल पारन पर जेना खतरा लागी रहल अहि किछु,
पंडित सभ के पास छै, अहि समस्या केर समाधान
सखिया।
छै मिथिला मे……!
चारिम चरण पारण होइए, अहि महान् पाबैन जितिया के,
भोजन में दालि भात,तरुआ तरकारी, पकवान सखिया।
ओठगन भांति बच्चा सभ केर नयनक नींद फेर स छू मंतर,
मन में उमंग बड़, जल्दी स होइत कोना बिहान सखिया।
जितवाहन पूजा संगे, भाए जाइए समाप्ति अहि पाबैन केर,
व्रती सभ के तन में थकान, मुदा मन में मुस्कान सखिया।
छै मिथिला मे……!
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जितिया व्रत गीत - माई करेली जिउतिया बरतिया
माई करेली जिउतिया बरतिया
माई करेली जिउतिया बरतिया,
करीं परनाम उनका के।
जगली हमरे खातिर सारी रतिया
करीं परनाम उनका के।।
दुई दिन से घरवा मे होता तैयारी
काहे की बरत ई कठिन आ भारी
सरगहि खियावेली परतिया
करीं परनाम उनका के।
माई करेली जिउतिया बरतिया
करीं परनाम उनका के।।१।।
पुरखा पुरनिया के आसरा पुरावेली
नीमन पकवान पहिला दिने बनावेली
चिल्हो सियारिन के देली उ पतिया
करीं परनाम उनका के।
माई करेली जिउतिया बरतिया
करीं परनाम उनका के।।२।।
कुश बरियार सब हम लेके अइनी
कथा सुने खातिर पंडिजी बोलइनी
माई गावे जीउत बंधन के अरतिया
करीं परनाम उनका के।
माई करेली जिउतिया बरतिया
करीं परनाम उनका के।।३।।
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जितिया के भजन : सुनियौ पुकार यौ जितवाहन
सुनियौ पुकार यौ जितवाहन
सुनियौ पुकार यौ जितवाहन।
बुझियौ नहि हमरा आन।।
हम छी दुखिया, सब स ठुकरायल।
लोक रीति स, रहैत छी घबरायल।।
कनि ध्यान हमरा पर दियौ
धिया-पूता के निरोगी काया रखियौ
सुनियौ पुकार यौ जितवाहन।
बुझियौ नहि हमरा आन।।
विपदा के भंवर में फसल छी
अपन दशा देखि कानि रहल छी
जिनगी हमर पहाड़ अछि बनल
मुरझा गेल अछि ठौड़ कमल
सुनियौ पुकार यौ जितवाहन।
बुझियौ नहि हमरा आन।।
सूखल मरूआक सोहारी खा उपास केने छी
आहां स नीक दिनक आस लगेने छी
दिन-राति आहांक नाम जपैत छी
मगन भै आहांक दर मिनती गवैत छी
सुनियौ पुकार यौ जितवाहन।
बुझियौ नहि हमरा आन।।
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