श्री दुर्गा चालीसा || नमो नमो दुर्गे सुख करनी, नमो नमो दुर्गे दुःख हरनी॥

दरअसल मां दुर्गा को आदिशक्ति माना गया है। भगवान शिव की पत्नी पार्वती का ही रूप हैं। मां दुर्गा ने अवतरण दानवों के संहार के लिए लिया था। शिव की पत्नी आदिशक्ति का एक रूप हैं। मार्कण्डेय पुराण के अनुसार दुर्गा अपने पूर्व जन्म में प्रजापति रक्ष की कन्या के रूप में उत्पन्न हुई थीं।
श्री दुर्गा चालीसा || नमो नमो दुर्गे सुख करनी, नमो नमो दुर्गे दुःख हरनी॥

देवी दुर्गा ने महिषासुर के आतंक से देवताओं को मुक्त करने के लिए उसका संहार किया देवी दुर्गा ने महिषासुर का वध कर देवताओं को उसके अत्याचार से मुक्ति दिलवाई, हालांकि उनका असली नाम दाक्षायनी था। यज्ञ कुंड में कुदकर आत्मदाह करने के कारण भी उन्हें सती कहा जाता है। बाद में उन्हें पार्वती के रूप में जन्म लिया।

🙏👏 दुर्गा चालीसा -हिंदी लिरिक्स 🙏👏

। नमो नमो दुर्गे सुख करनी।
॥ नमो नमो दुर्गे दुःख हरनी॥
। निरंकार है ज्योति तुम्हारी।
॥ तिहूं लोक फैली उजियारी॥

। शशि ललाट मुख महाविशाला।
॥ नेत्र लाल भृकुटि विकराला॥

। रूप मातु को अधिक सुहावे।
॥ दरश करत जन अति सुख पावे॥

। तुम संसार शक्ति लै कीना।
॥ पालन हेतु अन्न धन दीना॥
। अन्नपूर्णा हुई जग पाला।
॥ तुम ही आदि सुन्दरी बाला॥

। प्रलयकाल सब नाशन हारी।
॥ तुम गौरी शिवशंकर प्यारी॥

शिव योगी तुम्हरे गुण गावें।
॥ ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावें॥

रूप सरस्वती को तुम धारा।
॥ दे सुबुद्धि ऋषि मुनिन उबारा॥
धरयो रूप नरसिंह को अम्बा।
॥ परगट भई फाड़कर खम्बा॥

रक्षा करि प्रह्लाद बचायो।
॥ हिरण्याक्ष को स्वर्ग पठायो॥

लक्ष्मी रूप धरो जग माहीं।
॥ श्री नारायण अंग समाहीं॥

क्षीरसिन्धु में करत विलासा।
॥ दयासिन्धु दीजै मन आसा॥
हिंगलाज में तुम्हीं भवानी।
॥ महिमा अमित न जात बखानी॥

मातंगी अरु धूमावति माता।
भुवनेश्वरी बगला सुख दाता॥

श्री भैरव तारा जग तारिणी।
॥ छिन्न भाल भव दुःख निवारिणी॥

केहरि वाहन सोह भवानी।
॥ लांगुर वीर चलत अगवानी॥
कर में खप्पर खड्ग विराजै।
॥ जाको देख काल डर भाजै॥

। सोहै अस्त्र और त्रिशूला।
॥ जाते उठत शत्रु हिय शूला॥

। नगरकोट में तुम्हीं विराजत।
॥ तिहुंलोक में डंका बाजत॥

। शुंभ निशुंभ दानव तुम मारे।
॥ रक्तबीज शंखन संहारे॥
। महिषासुर नृप अति अभिमानी।
॥ जेहि अघ भार मही अकुलानी॥

। रूप कराल कालिका धारा।
॥ सेन सहित तुम तिहि संहारा॥

। परी गाढ़ संतन पर जब जब।
॥ भई सहाय मातु तुम तब तब॥

। अमरपुरी अरु बासव लोका।
॥ तब महिमा सब रहें अशोका॥
ज्वाला में है ज्योति तुम्हारी।
॥ तुम्हें सदा पूजें नर-नारी॥

। प्रेम भक्ति से जो यश गावें।
॥ दुःख दारिद्र निकट नहिं आवें॥

। ध्यावे तुम्हें जो नर मन लाई।
॥ जन्म-मरण ताकौ छुटि जाई॥

। जोगी सुर मुनि कहत पुकारी।
॥ योग न हो बिन शक्ति तुम्हारी॥
शंकर आचारज तप कीनो।
॥ काम अरु क्रोध जीति सब लीनो॥

। निशिदिन ध्यान धरो शंकर को।
॥ काहु काल नहिं सुमिरो तुमको॥

। शक्ति रूप का मरम न पायो।
॥ शक्ति गई तब मन पछितायो॥

। शरणागत हुई कीर्ति बखानी।
॥ जय जय जय जगदम्ब भवानी॥
। भई प्रसन्न आदि जगदम्बा।
॥ दई शक्ति नहिं कीन विलम्बा॥

। मोको मातु कष्ट अति घेरो।
॥ तुम बिन कौन हरै दुःख मेरो॥

। आशा तृष्णा निपट सतावें।
॥ रिपू मुरख मौही डरपावे॥

। शत्रु नाश कीजै महारानी।
॥ सुमिरौं इकचित तुम्हें भवानी॥
। करो कृपा हे मातु दयाला।
॥ ऋद्धि-सिद्धि दै करहु निहाला।

। जब लगि जिऊं दया फल पाऊं ।
॥ तुम्हरो यश मैं सदा सुनाऊं ॥

। दुर्गा चालीसा जो कोई गावै।
॥ सब सुख भोग परमपद पावै॥

। देवीदास शरण निज जानी।
॥ करहु कृपा जगदम्ब भवानी॥

🙏👏 इति श्री दुर्गा चालीसा सम्पूर्ण 🙏👏
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🙏👏 Shree Durga Chalisa 🙏👏

। Namo namo Durge sukh karani।
॥ Namo namo Ambe dukh harani॥
। Nirankar hai jyoti tumhari
॥ Tihun lok pheli ujayari॥

। Shashi lalat mukh maha vishala।
॥ Netra lal brikuti vikrala॥
। Roop matu ko adhika suhave।
॥ Daras karat jan ati sukh pave॥

। Tum sansar shakti laya kina।
॥ Palan hetu anna dhan dina॥
। Annapurna hui jag pala।
॥ Tumhi adi sundari bala॥

। Pralaya kal sab nashan hari।
॥ Tum Gauri Shiv Shankar pyari॥
। Shiv yogi tumhare gun gave।
॥ Brahma Vishnu tumhe nit dhyaven॥

। Roop Saraswati ko tum dhara।
॥ De subudhi rishi munin ubara॥
। Dharyo roop Narsimha ko Amba।
॥ Pragat bhayin phar kar kamba॥

। Raksha kari Prahalad bachayo।
॥ Hiranakush ko swarg pathayo॥
। Lakshmii roop dharo jag mahi।
॥ Shree Narayan ang samahi॥

। Ksheree Sindhu karat vilasa।
॥ Daya Sindhu deejay man aasa ॥
। Hingalaj mein tumhi Bhavani।
॥ Mahima amit na jaat bakhani ॥

। Matangi Dhoomavati Mata।
॥ Bhuvneshwari Bagala Sukhdata ॥
। Shree Bairav Tara jog tarani।
॥ Chin-na Bhala bhav dukh nivarani॥

। Kehari Vahan soh Bhavani।
॥ Langur veer chalat agavani॥
। Kar men khappar khadag viraje।
॥ Jako dekh kal dar bhaje॥

। Sohe astra aur trishoola।
॥ Jase uthata shatru hiya shoola॥
। Nagarkot mein tumhi virajat।
॥ Tihun lok mein danka bajat॥

। Shumbhu Nishumbhu Danuja tum mare।
॥ Rakta-beeja shankhan samhare॥
। Mahishasur nripa ati abhimani।
॥ Jehi agha bhar mahi akulani॥

। Roop kaaral Kalika dhara।
॥ Sen sahita tum tin samhara॥
। Pari garha santan par jab jab।
॥ Bhayi sahaya Matu tum tab tab॥

। Amarpuri aru basava loka।
॥ Tava mahima sab rahen asoka॥
। Jwala mein hai jyoti tumhari।
॥ Tumhen sada pujan nar nari॥

। Prem bhakti se jo yash gaye।
॥ Dukh-daridra nikat nahin ave॥
। Dhyave tumhen jo nar man laee।
॥ Janam-maran tako chuti jaee॥

। Jogi sur-muni kahat pukari।
॥ Jog na ho bin shakti tumhari॥
। Shankar Aacharaj tap keenhon।
॥ Kam। krodh jeet sab leenhon॥

। Nisidhin dhyan dharo Shanker ko।
॥ Kahu kal nahin sumiron tum ko॥
। Shakti roop ko maram na payo।
॥ Shakti gayi tab man pachitayo॥

। Sharnagat hui keerti bakhani।
॥ Jai jai jai Jagdamb Bhavani॥
। Bhayi prasanna Aadi Jagdamba।
॥ Dayi shakti nahin keen vilamba॥

। Mokun Matu kashta ati ghero।
॥ Tum bin kaun hare dukh mero॥
। Asha trishna nipat sataven।
॥ Moh madadik sab binsaven॥

। Shatru nash keeje Maharani।
॥ Sumiron ekachita tumhen Bhavani॥
। Karo kripa hey Matu dayala
॥ Riddhi-Siddhi de karahu nihala॥ 

। Jab lagi jiyoon daya phal paoon।
॥ Tumro yash mein sada sunaoon॥
। Durga chalisa jo gaye।
॥ Sab sukh bhog parampad pave॥

। Devidas sharan nij jani।
॥ Karahu kripa Jagdamb Bhavani॥
...
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