Shiv Tandav Stotram Lyrics -Shankar Mahadevan | जटाटवीगलज्जल प्रवाहपावितस्थले

जटाटवीगलज्जल प्रवाहपावितस्थले Shiv Tandav Stotram Lyrics -Shankar Mahadevan
🕉️ जय शिव शम्भू 🕉️ एक बार रावण ने भगवान शिव से मिलने के लिए लंका से कैलाश पर्वत की ओर प्रस्थान किया। भोलेनाथ की स्तुति और गुणगान करता है। जिससे भगवान शिव प्रसन्न होते हैं। भोलेनाथ की स्तुति में 1008 छंदों की रचना कर डाली, जिसे अब शिव तांडव स्तोत्र के नाम से जाना जाता है। रावण की भक्ति से शिव जी अति प्रसन्न हुए और आशीर्वाद देते है। "रावण रचित शिव तांडव स्तोत्र" इस स्तोत्र में रावण ने 17 श्लोंको से भगवान शिव की स्तुति गाई है। जो मनुष्य शिवतांडव स्तोत्र द्वारा भगवान शिव की स्तुति करता है, उत्कृष्ट व्यक्तित्व की प्राप्ति होती है। व्यक्ति का चेहरा तेजमय होता है, आत्मबल मजबूत होता है। शिव तांडव स्तोत्र का पाठ प्रातः काल या प्रदोष काल करना चाहिए। 

जटाटवीगलज्जल प्रवाहपावितस्थले

गलेऽवलम्ब्य लम्बितां भुजंगतुंगमालिकाम्‌।

डमड्डमड्डमड्डमनिनादवड्डमर्वयं

चकार चंडतांडवं तनोतु नः शिवः शिवम ॥1॥


जटा कटा हसंभ्रम भ्रमन्निलिंपनिर्झरी ।

विलोलवी चिवल्लरी विराजमानमूर्धनि ।

धगद्धगद्ध गज्ज्वलल्ललाट पट्टपावके

किशोरचंद्रशेखरे रतिः प्रतिक्षणं ममं ॥2॥


धरा धरेंद्र नंदिनी विलास बंधुवंधुर-

स्फुरदृगंत संतति प्रमोद मानमानसे ।

कृपाकटा क्षधारणी निरुद्धदुर्धरापदि

कवचिद्विगम्बरे मनो विनोदमेतु वस्तुनि ॥3॥


जटा भुजं गपिंगल स्फुरत्फणामणिप्रभा-

कदंबकुंकुम द्रवप्रलिप्त दिग्वधूमुखे ।

मदांध सिंधु रस्फुरत्वगुत्तरीयमेदुरे

मनो विनोदद्भुतं बिंभर्तु भूतभर्तरि ॥4॥


सहस्र लोचन प्रभृत्य शेषलेखशेखर-

प्रसून धूलिधोरणी विधूसरांघ्रिपीठभूः ।

भुजंगराज मालया निबद्धजाटजूटकः

श्रिये चिराय जायतां चकोर बंधुशेखरः ॥5॥


ललाट चत्वरज्वलद्धनंजयस्फुरिगभा-

निपीतपंचसायकं निमन्निलिंपनायम्‌ ।

सुधा मयुख लेखया विराजमानशेखरं

महा कपालि संपदे शिरोजयालमस्तू नः ॥6॥


कराल भाल पट्टिकाधगद्धगद्धगज्ज्वल-

द्धनंजया धरीकृतप्रचंडपंचसायके ।

धराधरेंद्र नंदिनी कुचाग्रचित्रपत्रक-

प्रकल्पनैकशिल्पिनि त्रिलोचने मतिर्मम ॥7॥


नवीन मेघ मंडली निरुद्धदुर्धरस्फुर-

त्कुहु निशीथिनीतमः प्रबंधबंधुकंधरः ।

निलिम्पनिर्झरि धरस्तनोतु कृत्ति सिंधुरः

कलानिधानबंधुरः श्रियं जगंद्धुरंधरः ॥8॥


प्रफुल्ल नील पंकज प्रपंचकालिमच्छटा-

विडंबि कंठकंध रारुचि प्रबंधकंधरम्‌

स्मरच्छिदं पुरच्छिंद भवच्छिदं मखच्छिदं

गजच्छिदांधकच्छिदं तमंतकच्छिदं भजे ॥9॥


अगर्वसर्वमंगला कलाकदम्बमंजरी-

रसप्रवाह माधुरी विजृंभणा मधुव्रतम्‌ ।

स्मरांतकं पुरातकं भावंतकं मखांतकं

गजांतकांधकांतकं तमंतकांतकं भजे ॥10॥


जयत्वदभ्रविभ्रम भ्रमद्भुजंगमस्फुर-

द्धगद्धगद्वि निर्गमत्कराल भाल हव्यवाट्-

धिमिद्धिमिद्धिमि नन्मृदंगतुंगमंगल-

ध्वनिक्रमप्रवर्तित प्रचण्ड ताण्डवः शिवः ॥11॥


दृषद्विचित्रतल्पयोर्भुजंग मौक्तिकमस्रजो-

र्गरिष्ठरत्नलोष्टयोः सुहृद्विपक्षपक्षयोः ।

तृणारविंदचक्षुषोः प्रजामहीमहेन्द्रयोः

समं प्रवर्तयन्मनः कदा सदाशिवं भजे ॥12॥


कदा निलिंपनिर्झरी निकुजकोटरे वसन्‌

विमुक्तदुर्मतिः सदा शिरःस्थमंजलिं वहन्‌।

विमुक्तलोललोचनो ललामभाललग्नकः

शिवेति मंत्रमुच्चरन्‌कदा सुखी भवाम्यहम्‌॥13॥


निलिम्प नाथनागरी कदम्ब मौलमल्लिका-

निगुम्फनिर्भक्षरन्म धूष्णिकामनोहरः ।

तनोतु नो मनोमुदं विनोदिनींमहनिशं

परिश्रय परं पदं तदंगजत्विषां चयः ॥14॥


प्रचण्ड वाडवानल प्रभाशुभप्रचारणी

महाष्टसिद्धिकामिनी जनावहूत जल्पना ।

विमुक्त वाम लोचनो विवाहकालिकध्वनिः

शिवेति मन्त्रभूषगो जगज्जयाय जायताम्‌ ॥15॥


इमं हि नित्यमेव मुक्तमुक्तमोत्तम स्तवं

पठन्स्मरन्‌ ब्रुवन्नरो विशुद्धमेति संततम्‌।

हरे गुरौ सुभक्तिमाशु याति नांयथा गतिं

विमोहनं हि देहना तु शंकरस्य चिंतनम ॥16॥


पूजाऽवसानसमये दशवक्रत्रगीतं

यः शम्भूपूजनमिदं पठति प्रदोषे ।

तस्य स्थिरां रथगजेंद्रतुरंगयुक्तां

लक्ष्मी सदैव सुमुखीं प्रददाति शम्भुः ॥17॥

॥ इति शिव ताण्डव स्तोत्रं संपूर्णम्‌॥

......

जटाटवीगलज्जल प्रवाहपावितस्थले Shiv Tandav Stotram Lyrics -Shankar Mahadevan
जटाटवीगलज्जल प्रवाहपावितस्थले Shiv Tandav Stotram Lyrics -Shankar Mahadevan 


Origin of Shiva Tandava Stotram


Jatatavigalajjala pravahapavitasthale

Galeavalambya lambitam bhujangatungamalikam

Damad damad damaddama ninadavadamarvayam

Chakara chandtandavam tanotu nah shivah shivam


Jata kata hasambhrama bhramanilimpanirjhari

Vilolavichivalarai virajamanamurdhani

Dhagadhagadhagajjva lalalata pattapavake

Kishora chandrashekhare ratih pratikshanam mama


Dharadharendrana ndinivilasabandhubandhura

Sphuradigantasantati pramodamanamanase

Krupakatakshadhorani nirudhadurdharapadi

Kvachidigambare manovinodametuvastuni


Jata bhujan gapingala sphuratphanamaniprabha

Kadambakunkuma dravapralipta digvadhumukhe

Madandha sindhu rasphuratvagutariyamedure

Mano vinodamadbhutam bibhartu bhutabhartari


Sahasra lochana prabhritya sheshalekhashekhara

Prasuna dhulidhorani vidhusaranghripithabhuh

Bhujangaraja malaya nibaddhajatajutaka

Shriyai chiraya jayatam chakora bandhushekharah


Lalata chatvarajvaladhanajnjayasphulingabha

Nipitapajnchasayakam namannilimpanayakam

Sudha mayukha lekhaya virajamanashekharam

Maha kapali sampade shirojatalamastu nah


Karala bhala pattikadhagaddhagaddhagajjvala

Ddhanajnjaya hutikruta prachandapajnchasayake

Dharadharendra nandini kuchagrachitrapatraka

Prakalpanaikashilpini trilochane ratirmama


Navina megha mandali niruddhadurdharasphurat

Kuhu nishithinitamah prabandhabaddhakandharah

Nilimpanirjhari dharastanotu krutti sindhurah

Kalanidhanabandhurah shriyam jagaddhurandharah


Praphulla nila pankaja prapajnchakalimchatha

Vdambi kanthakandali raruchi prabaddhakandharam

Smarachchidam purachchhidam bhavachchidam makhachchidam

Gajachchidandhakachidam tamamtakachchidam bhaje


Akharvagarvasarvamangala kalakadambamajnjari

Rasapravaha madhuri vijrumbhana madhuvratam

Smarantakam purantakam bhavantakam makhantakam

Gajantakandhakantakam tamantakantakam bhaje


Jayatvadabhravibhrama bhramadbhujangamasafur

Dhigdhigdhi nirgamatkarala bhaal havyavat

Dhimiddhimiddhimidhva nanmrudangatungamangala

Dhvanikramapravartita prachanda tandavah shivah


Drushadvichitratalpayor bhujanga mauktikasrajor

Garishtharatnaloshthayoh suhrudvipakshapakshayoh

Trushnaravindachakshushoh prajamahimahendrayoh

Sama pravartayanmanah kada sadashivam bhaje


Kada nilimpanirjhari nikujnjakotare vasanh

Vimuktadurmatih sada shirah sthamajnjalim vahanh

Vimuktalolalochano lalamabhalalagnakah

Shiveti mantramuchcharan sada sukhi bhavamyaham 


Imam hi nityameva muktamuttamottamam stavam

Pathansmaran bruvannaro vishuddhimeti santatam

Hare gurau subhaktimashu yati nanyatha gatim

Vimohanam hi dehinam sushankarasya chintanam


Puja vasanasamaye dashavaktragitam

Yah shambhupujanaparam pathati pradoshhe

Tasya sthiram rathagajendraturangayuktam

Lakshmim sadaiva sumukhim pradadati shambhuh

....

Shiva Tandava Stotram with simplified English lyrics. Shiva Tandava Stotram was composed by King Ravana. This is prayed by RAVANASURAN (the great follower of shiva with heavily knowledged) which made shiva to dance rudhra thandavam out of happiness,thats why this slogam is called shiva thandavam,
जटाटवीगलज्जल प्रवाहपावितस्थले Shiv Tandav Stotram Lyrics -Shankar Mahadevan

Song Credit: Singer - Shankar Mahadevan Composer - Shailesh Dani Lyrics - Traditional Language - Sanskrit Label - Times Music Spiritual

Previous Post Next Post